Triyuginarayan vedic Wedding Planner

Triyuginarayan vedic Wedding Planner spiritual destination wedding in Trijuginarayan where lord shiva and parvati marriage took place. f

कहते हैं, एक सफल वैवाहिक जीवन का आधार सिर्फ और सिर्फ अनंत प्रेम ही हो सकता है। प्रेम, वो जो जुड़ा होता है, समर्पण, विश्व...
24/04/2025

कहते हैं, एक सफल वैवाहिक जीवन का आधार सिर्फ और सिर्फ अनंत प्रेम ही हो सकता है। प्रेम, वो जो जुड़ा होता है, समर्पण, विश्वास और एक-दूसरे को स्वयं के जैसे ही समझने की क्षमता से.. न सिर्फ एक-दूसरे की खुशियों से जुड़ने की बल्कि एक दूसरे के हर अच्छे-बुरे पहलू को समझने की..कुछ ऐसे ही प्रेम के नाजुक पर एक मजबूत डोर से बंधे हैं जतिन और अंजलि भी.. त्रियुगीनारायण विवाह के लिए आए इस जोड़ी की आपसी समझ और प्रेम ने यहां सबका मन मोह लिया। भगवान शिव और मां पार्वती से बस यही प्रार्थना है कि इनके मध्य का यह प्रेम, विश्वास और इनके मध्य की यह समझ यूं ही हमेशा बना रहे। इनपर उनका आशीर्वाद हमेशा यूं ही बना रहे और ये हमेशा ऐसे ही खुश रहें।

आप दोनों को इस नए जीवन के शुरुआत की बहुत सारी बधाई।🙏😊

निशि और केवल महाकाल की धरती उज्जैन से भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर विवाह के लिए पहुंचे। ...
06/03/2024

निशि और केवल महाकाल की धरती उज्जैन से भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर विवाह के लिए पहुंचे। भगवान शिव और माता पार्वती के अनन्य भक्त होने से हमेशा से ही इनका ये स्वप्न था कि ये अपने इस नए जीवन की शुरुआत उसी स्थल से कर पाएं जहां भगवान शिव और मां शिवा ने एक दूसरे को अनंत के लिए वरा। और जब वास्तव में इनका स्वप्न धरातल पर पूर्ण हुआ तो उस स्वप्न के पूर्ण होने की खुशी सहज ही इनके चेहरे पर झलक पड़ी। वर वधू के श्रृंगार में दोनों स्वयं ही देवताओं की छवि प्रतीत हो रहे थे। उत्तराखंड की परंपरा में यूं भी नव वर-वधु को भगवान नारायण और मां लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है।

उनके इस स्वप्न को पूरा होने में हम माध्यम बने ये हमारे लिए अत्यंत ही हर्ष की बात है। हालांकि हमारे लिए उनके इस विवाह संस्कार को विधिवत संपन्न कराना पहले से भी ज्यादा मुश्किल भरा रहा। पहाड़ों में एक लंबी दूरी तय कर पूरी व्यवस्था को संभालना और विवाह संस्कार पूरा करवाना यूं भी आसान नहीं होता, परंतु इस बार लगातार हो रही बारिश और जगह-जगह हो रहे भूस्खलन के कारण हमें विवाह स्थल तक पहुंचने में 24 घंटे से भी ज्यादा का वक्त लग गया। एक वक्त तो ऐसा हुआ जब हमें लगातार हो रही बारिश और सड़क अत्यंत क्षतिग्रस्त होने के कारण रात भर के दूसरे अनजान व्यक्ति के घर भी शरण लेनी पड़ी। पर इसके उपरांत भी हमारी पूर्णतः यही कोशिश रही कि हम उनका विवाह तय मूहर्त में संपन्न करवा सकें। हमारे लिए ये सौभाग्य की बात रही कि निशि और केवल ने इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और हम पर अपना विश्वास बनाए रखा। इसके लिए हम उनके अत्यंत ही आभारी रहेंगे..🙏

भगवान शिव और मां शिवा से हमेशा यही प्रार्थना रहेगी कि इनकी चेहरे की ये खुशी और इनके मध्य का ये प्रेम और विश्वास अनंत काल के लिए यूं ही बना रहे..❣️
धन्यवाद..🙏

Nishi and Kewal

5 March 2024

13/01/2024

विवाह संस्कार के लिए त्रियुगीनारायण आने वाले अतिथियों से यहां की पवित्रता के अनुकूल आचरण एवम उत्तराखंड में वैदिक विवाह संस्कार को प्रोत्साहित करने हेतु यहां की सरकार से एक आवश्यक अपील..🙏

'दे द्यावा, दे द्यावा मेरा बरमा जी, दे द्यावा हल़दी का बान हे..’ गीत की मधुर धुन और अपनों की हंसी ठिठोली के बीच होने वाल...
03/09/2023

'दे द्यावा, दे द्यावा मेरा बरमा जी, दे द्यावा हल़दी का बान हे..’ गीत की मधुर धुन और अपनों की हंसी ठिठोली के बीच होने वाले नव वर और वधू को जब हल्दी चढ़ाई जाती है, तो माना जाता है कि अब वो दुनिया की सभी तरह की नकारात्मकता और बुरी नजर से दूर हो गए। और ऐसा हो भी क्यूं ना.. यहां सिर्फ हल्दी और उसके साथ मिले तमाम पदार्थ का औषधीय गुण ही उनकी रक्षा नहीं करते हैं, बल्कि उनके साथ ही उनमें घुला होता है उनके अपनों का प्रेम, खुशी और ढेर सारा आशीर्वाद भी। और ये सब मिलकर उनके चारों तरफ सकारात्मकता का वो सुरक्षा कवच बना देते हैं जिससे बुरी शक्तियां उनके आस पास भी नही आ सकती।

'हल्दी हाथ' अथवा 'बान देना' उत्तराखंड की विवाह परंपरा का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें होने वाले नव वर और वधू को हल्दी, चंदन, सुमैया और कच्चुर इत्यादि औषधीय और अत्यंत ही पवित्र माने वाले पदार्थों को कूटकर तैयार किए गए मिश्रण से बने लेप को लगाया जाता है। इस विधि में इस लेप को दूब की सहायता से वर और वधू के पांव से लेकर सिर तक पांव, घुटना, हाथ, कंधा और सिर को स्पर्श करते हुए अपने सिर पर रखना होता है। यह विधि पांच अथवा सात बार दोहराई जाती है। विवाह के सात फेरों की तरह ही इस रस्म का सात बार किया जाना इसकी पवित्रता और इसकी महत्ता को बताता है।

Address

Village Triyuginarayan
Ukhimath
246419

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 8am - 5pm
Sunday 8am - 5pm

Telephone

+918395031027

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