Siwan Tube

Siwan Tube सिवान मांगे मोर

12/05/2025

**🚨 सिवान में अपराधियों का बुलंद हौसला: अब बर्दाश्त नहीं! 🚨**

सिवान, हमारा प्यारा शहर, जो कभी अपनी सांस्कृतिक विरासत और शांति के लिए जाना जाता था, आज अपराध की काली छाया में डूब रहा है। अपराधी इतने बेखौफ हो चुके हैं कि दिनदहाड़े या रात के अंधेरे में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, और आम जनता भय के साये में जीने को मजबूर है। हाल की घटनाएँ, जैसे सोनारपट्टी में स्वर्ण व्यवसाई शुभम सोनी पर गोलीबारी, ने पूरे शहर में दहशत और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। 😡

**क्या हो रहा है सिवान में?**
11 मई 2025 की रात 9:30 बजे, नगर थाना क्षेत्र के सोनारपट्टी में पैसे के लेन-देन को लेकर हुए विवाद में पीयूष सोनी ने अपने पड़ोसी शुभम सोनी पर गोली चला दी। शुभम गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जिंदगी-मौत से जूझ रहे हैं। आरोपी फरार है, और इस घटना ने स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है। यह कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के महीनों में सिवान में लूट, हत्या, और मारपीट की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं:
- **फोटोग्राफर की हत्या** और **9.60 लाख की बैंक लूट** ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए।
- **AIMIM जिलाध्यक्ष की गोली मारकर हत्या** और आभूषण दुकानों में चोरी की वारदातें अपराधियों के हौसले को दर्शाती हैं।
- शेखपुरा बाजार में हत्या और मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा ने सामाजिक तनाव को बढ़ाया है।

**जनता में भय, प्रशासन की चुप्पी**
इन घटनाओं ने सिवान के हर नागरिक के मन में एक सवाल पैदा किया है: क्या अब हम अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं? दुकानदार, व्यवसाई, और आम लोग डर के माहौल में जी रहे हैं। स्वर्ण व्यवसाई, जो शहर की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं, अब अपराधियों के निशाने पर हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की सुस्ती ने अपराधियों के हौसले को और बुलंद किया है। "प्रशासन पस्त, अपराधी मस्त" की स्थिति सिवान की सड़कों पर साफ दिखाई दे रही है। 😞

**कब तक चुप रहेंगे?**
सिवान की जनता अब और चुप नहीं रह सकती। यह हमारे शहर की सुरक्षा, हमारे परिवारों की हिफाजत, और हमारे बच्चों के भविष्य का सवाल है। अपराधी बेखौफ हैं, क्योंकि उन्हें सजा का डर नहीं है। यह समय है कि हम एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें और प्रशासन को जगाएँ। सिवान को अपराध मुक्त बनाने का वक्त आ गया है!

**हमारी माँगें, हमारा हक**
हम, सिवान के नागरिक, प्रशासन और सरकार से निम्नलिखित माँग करते हैं:
1. **तत्काल कार्रवाई**: हाल की घटनाओं के आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए।
2. **पुलिस गश्त बढ़ाएँ**: शहर के संवेदनशील इलाकों में रात-दिन गश्त और निगरानी सुनिश्चित की जाए।
3. **व्यवसाइयों की सुरक्षा**: स्वर्ण व्यवसाइयों और दुकानदारों के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम किए जाएँ।
4. **कानून-व्यवस्था में सुधार**: पुलिस बल को और सशक्त करें, ताकि अपराधियों में कानून का डर पैदा हो।
5. **जनता से संवाद**: प्रशासन नियमित रूप से जनता के साथ बैठक कर उनकी समस्याएँ सुने और समाधान करे।

**सिवान को बचाने का संकल्प**
सिवान हमारा घर है, और इसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। हम शुभम सोनी और अन्य पीड़ितों के साथ खड़े हैं। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं और उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। लेकिन प्रार्थना के साथ-साथ हमें कदम भी उठाने होंगे। यह पोस्ट हर उस सिवानवासी के लिए है जो अपने शहर को फिर से शांत और समृद्ध देखना चाहता है।

**आवाज उठाएँ, बदलाव लाएँ!**
इस पोस्ट को शेयर करें, अपनी बात रखें, और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को जागरूक करें। सिवान की सड़कों से अपराध का अंधेरा हटाने के लिए हमें एकजुट होना होगा। प्रशासन को बताएँ कि हम चुप नहीं बैठेंगे। सिवान हमारा है, और हम इसे अपराधियों के हवाले नहीं होने देंगे! 💪



**नोट**: यह पोस्ट सिवान में बढ़ते अपराध के खिलाफ जागरूकता फैलाने और प्रशासन से कार्रवाई की माँग करने के लिए लिखी गई है। आइए, मिलकर अपने शहर को सुरक्षित बनाएँ!

12/05/2025

**🚨 सिवान में नाबालिगों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी! 🚨**

सिवान में एक बार फिर नाबालिगों के खिलाफ अपराध की घटना ने हमें झकझोर कर रख दिया है। हाल ही में सिवान पुलिस ने एक युवक को शादी की नीयत से एक नाबालिग लड़की को भगाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी को जेल भेज दिया गया है, और यह कार्रवाई सिवान पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया का परिणाम है। 👮‍♂️

लेकिन क्या यह एक घटना का अंत है, या हमें और सतर्क होने की जरूरत है? नाबालिग बच्चियाँ हमारी समाज की अमूल्य धरोहर हैं, और उनकी सुरक्षा हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाएँ न केवल परिवारों के लिए दुखदायी हैं, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं। 😔

**आइए, जागरूकता फैलाएँ, अपराध रोकें!**
✅ **बच्चों को शिक्षित करें**: अपने बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श के बारे में बताएँ। उन्हें अजनबियों से सावधान रहने की सलाह दें।
✅ **आसपास नजर रखें**: अपने पड़ोस और समुदाय में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें। किसी भी असामान्य व्यवहार को तुरंत पुलिस को सूचित करें।
✅ **माता-पिता सतर्क रहें**: बच्चों के दोस्तों, उनके सोशल मीडिया उपयोग, और उनकी दिनचर्या पर ध्यान दें।
✅ **कानून का सहारा लें**: अगर आपको कोई खतरा दिखे, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। सिवान पुलिस का हेल्पलाइन नंबर हमेशा अपने पास रखें।

**सिवान पुलिस को सलाम! 🙌**
हम सिवान पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना करते हैं। यह दर्शाता है कि अगर हम एकजुट हों और समय पर कदम उठाएँ, तो अपराध को रोका जा सकता है। लेकिन पुलिस के साथ-साथ हमें भी अपनी भूमिका निभानी होगी।

**नाबालिगों की सुरक्षा, समाज की मजबूती!**
आइए, मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल देंगे। हर बच्ची का सपना, उसकी आजादी, और उसकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। इस पोस्ट को शेयर करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों और ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों। 💪

**सिवान, जागो! अपने बच्चों को बचाओ!**
यदि आपके पास कोई जानकारी है या आपको मदद चाहिए, तो सिवान पुलिस से संपर्क करें।
📞 **पुलिस हेल्पलाइन**: 100 या स्थानीय थाना नंबर



**नोट**: यह पोस्ट जागरूकता फैलाने और नाबालिगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए लिखी गई है। आइए, एक सुरक्षित सिवान के लिए मिलकर काम करें!

12/05/2025

**सिवान में फिर गूँजी गोली, बेखौफ अपराध का नंगा नाच!**

सिवान, एक शहर जो कभी अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता था, आज अपराध की काली छाया में डूबता जा रहा है। 11 मई 2025 की रात 9:30 बजे, नगर थाना क्षेत्र के सोनारपट्टी में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। पैसे के लेन-देन को लेकर हुए मामूली विवाद ने इतना भयावह रूप ले लिया कि पीयूष सोनी ने अपने ही पड़ोसी, स्वर्ण व्यवसाई शुभम सोनी पर गोली चला दी। गोली की आवाज के साथ ही क्षेत्र में दहशत फैल गई, और शुभम खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़े।

शुभम को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। उनके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है, और पड़ोसियों में गम और गुस्से का माहौल है। लेकिन इस घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि आरोपी पीयूष सोनी घटनास्थल से फरार हो गया। सिवान पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सफलता हाथ नहीं लगी। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि सिवान की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का एक और काला अध्याय है।

**कब तक सहेंगे यह दर्द?**
सिवान में अपराधी अब इतने बेखौफ हो चुके हैं कि दिनदहाड़े या रात के अंधेरे में गोली चलाने से भी नहीं हिचकते। यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना ने शहर को हिलाया है। हाल के महीनों में लूट, हत्या, और मारपीट की घटनाएँ आम हो गई हैं। स्वर्ण व्यवसाई, जो शहर की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं, अब निशाने पर हैं। क्या मेहनत से कमाया हुआ पैसा और अपनी जिंदगी की सुरक्षा भी अब सिवान में मायने नहीं रखती?

**प्रशासन की चुप्पी, जनता की बेबसी**
इस घटना ने एक बार फिर सिवान के प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। जब अपराधी खुलेआम हथियार लहरा रहे हैं, तब पुलिस और प्रशासन की चुप्पी जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है। स्थानीय लोग डर के साये में जी रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक सिवान की जनता इस भय और अराजकता के बीच जीने को मजबूर रहेगी? कब तक मासूम लोग अपराधियों की गोली का शिकार बनते रहेंगे?

**हमारी माँग, हमारा हक**
हम, सिवान के नागरिक, इस जघन्य घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हम प्रशासन से निम्नलिखित माँग करते हैं:
1. **आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी**: पीयूष सोनी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए, ताकि अपराधियों में कानून का डर पैदा हो।
2. **कानून-व्यवस्था में सुधार**: सिवान में पुलिस गश्त और निगरानी बढ़ाई जाए, खासकर संवेदनशील इलाकों में।
3. **स्वर्ण व्यवसाइयों की सुरक्षा**: व्यापारियों और दुकानदारों के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
4. **निष्पक्ष जाँच**: इस घटना के कारणों की गहन जाँच हो, ताकि भविष्य में ऐसी वारदातों को रोका जा सके।

**शुभम के लिए प्रार्थना, सिवान के लिए जागृति**
हम शुभम सोनी के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। उनके परिवार के दर्द को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। यह समय है कि सिवान की जनता एकजुट होकर इस अराजकता के खिलाफ आवाज उठाए। हमारा शहर, हमारा घर, और हमारी सुरक्षा हमारा हक है। आइए, मिलकर सिवान को अपराध मुक्त और सुरक्षित बनाने का संकल्प लें।

**सिवान जागो, अपराध भगाओ!**
इस दुखद घटना को साझा करें, अपनी आवाज उठाएँ, और प्रशासन को जगाएँ। सिवान हमारा है, और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।



**नोट**: यह पोस्ट सिवान की हालिया घटना को लेकर जनता की भावनाओं को व्यक्त करने और जागरूकता फैलाने के लिए लिखी गई है। शुभम सोनी के स्वास्थ्य और इस मामले की प्रगति के लिए स्थानीय समाचार स्रोतों से अपडेट लें।

दाहा नदी, जिसे स्थानीय रूप से "बाणेश्वरी नदी" के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के सिवान और गोपालगंज जिले से होकर बहने वा...
22/04/2025

दाहा नदी, जिसे स्थानीय रूप से "बाणेश्वरी नदी" के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के सिवान और गोपालगंज जिले से होकर बहने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है। इसका इतिहास पौराणिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से समृद्ध है। नीचे दाहा नदी के इतिहास को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है:

# # # 1. **पौराणिक इतिहास**:
- **रामायण से संबंध**: दाहा नदी का पौराणिक महत्व रामायण काल से जुड़ा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम और माता सीता वनवास के दौरान इस क्षेत्र में आए, तब माता सीता को प्यास लगी थी। उनकी प्यास बुझाने के लिए भगवान राम ने अपने बाण से धरती पर प्रहार किया, जिससे दाहा नदी का उद्गम हुआ। यही कारण है कि इसे "बाणेश्वरी नदी" भी कहा जाता है।
- **धार्मिक महत्व**: इस नदी को पवित्र माना जाता है, और स्थानीय लोग इसके तटों पर पूजा-पाठ और स्नान जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते रहे हैं। खासकर चैत्र और कार्तिक महीने में यहाँ मेलों का आयोजन होता था।

# # # 2. **ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व**:
- **प्राचीन काल में भूमिका**: दाहा नदी प्राचीन काल में सिवान और गोपालगंज के आसपास के गाँवों के लिए जीवनरेखा थी। यह नदी सिंचाई, मछली पालन, और स्थानीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण थी। नदी के किनारे बसे गाँवों में खेती और पशुपालन इसकी जल आपूर्ति पर निर्भर थे।
- **सांस्कृतिक केंद्र**: नदी के तट पर कई मंदिर और घाट बने, जो सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र थे। सिवान शहर के बीच से बहने वाली इस नदी के आसपास कई ऐतिहासिक स्थल और बस्तियाँ विकसित हुईं।
- **स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका**: सिवान, जो स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण केंद्र था, में दाहा नदी के किनारे कई सभाएँ और गतिविधियाँ आयोजित होती थीं। यह नदी स्थानीय लोगों के लिए एकजुटता का प्रतीक थी।

# # # 3. **औपनिवेशिक और आधुनिक काल**:
- **औपनिवेशिक काल**: ब्रिटिश काल में दाहा नदी का उपयोग नौवहन और सिंचाई के लिए किया जाता था। हालांकि, इस दौरान नदी की देखभाल और रखरखाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
- **स्वतंत्रता के बाद**: 20वीं सदी में सिवान के शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के साथ नदी पर दबाव बढ़ा। नदी में गाद जमा होने, अतिक्रमण, और प्रदूषण की समस्या शुरू हुई। 1960-70 के दशक तक यह नदी अभी भी मछली पालन और सिंचाई के लिए उपयोगी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी स्थिति बिगड़ती गई।
- **वैज्ञानिक अध्ययन**: 2009 में जय प्रकाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दाहा नदी में 64-65 प्रजातियों की मछलियों की उपस्थिति दर्ज की थी, जो इसकी जैव-विविधता को दर्शाता है। हालांकि, बाद के दशकों में प्रदूषण और पर्यावरणीय उपेक्षा के कारण यह जैव-विविधता लगभग खत्म हो गई।

# # # 4. **वर्तमान संदर्भ में इतिहास**:
- **प्रदूषण और उपेक्षा**: 21वीं सदी में दाहा नदी का ऐतिहासिक महत्व कम होता गया, क्योंकि यह शहर के नालों और औद्योगिक कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन गई। सिवान के अस्पतालों और घरों से निकलने वाला कचरा नदी में डाला जाने लगा, जिससे इसका पानी दूषित हो गया।
- **पुनर्जनन के प्रयास**: 2022 में मनरेगा के तहत दाहा नदी के जीर्णोद्धार की योजना शुरू की गई। इसका उद्देश्य नदी को उसके पुराने स्वरूप में लाना, अतिक्रमण हटाना, और सिंचाई के लिए इसका उपयोग बढ़ाना है। इस योजना के तहत नदी के उद्गम स्थल (कुचायकोट के सलेहपुर) से लेकर सासामुसा तक सर्वेक्षण किया गया।
- **सामाजिक जागरूकता**: स्थानीय संगठन और शिक्षाविद, जैसे जय प्रकाश विश्वविद्यालय की डॉ. रीता कुमारी, नदी के ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व को पुनर्जनन के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

# # # 5. **भौगोलिक और पर्यावरणीय इतिहास**:
- **उद्गम और मार्ग**: दाहा नदी का उद्गम गोपालगंज जिले के कुचायकोट क्षेत्र से होता है। यह सिवान शहर से होकर बहती है और अंततः सारण जिले के मांझी में सरयू (घाघरा) नदी में मिल जाती है। इसका एक छोर गंडक नदी से भी जुड़ा है।
- **प्राकृतिक परिवर्तन**: इतिहास में दाहा नदी का प्रवाह मौसमी रहा है। बरसात में यह उफान पर रहती थी, जबकि गर्मियों में इसका जलस्तर कम हो जाता था। हाल के दशकों में जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के कारण नदी कई बार पूरी तरह सूखने लगी है।

# # # निष्कर्ष:
दाहा नदी का इतिहास पौराणिक कथाओं से लेकर आधुनिक पर्यावरणीय चुनौतियों तक फैला हुआ है। यह नदी कभी सिवान और गोपालगंज की सांस्कृतिक और आर्थिक धुरी थी, लेकिन आज यह प्रदूषण और उपेक्षा का शिकार है। इसके ऐतिहासिक महत्व को पुनर्जनन के लिए सरकारी और सामुदायिक प्रयास आवश्यक हैं।

हिना शहाब  राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की एक प्रमुख नेत्री हैं और बिहार के सिवान क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। वे दिवंगत राजद न...
05/04/2025

हिना शहाब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की एक प्रमुख नेत्री हैं और बिहार के सिवान क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। वे दिवंगत राजद नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हैं। हिना शहाब ने政治 में अपनी पहचान बनाई है और कई बार सिवान लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं।

उन्होंने 2009 और 2014 में राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सिवान से चुनाव लड़ा, जिसके बाद वे फिर से चर्चा में आईं। हालांकि, चुनाव में वे जीत नहीं सकीं और जदयू की विजय लक्ष्मी कुशवाहा से हार गईं। इसके बाद अक्टूबर 2024 में हिना शहाब और उनके बेटे ओसामा शहाब ने फिर से राजद की सदस्यता ग्रहण की, जिसे लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया।

हिना शहाब का राजद से रिश्ता लंबे समय से रहा है, लेकिन बीच में कुछ समय के लिए उनके और पार्टी के बीच दूरियां बढ़ गई थीं। खासकर मोहम्मद शहाबुद्दीन की मृत्यु (मई 2021) के बाद उन्होंने राजद पर परिवार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। फिर भी, 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए राजद ने उन्हें और उनके बेटे को पार्टी में वापस शामिल कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है।

हिना शहाब की हाल की गतिविधियों के बारे में बात करें तो, 2024 में उनकी राजनीतिक सक्रियता ने काफी ध्यान आकर्षित किया। सबसे प्रमुख घटना उनकी और उनके बेटे ओसामा शहाब की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में वापसी रही। यह घटना 26 अक्टूबर 2024 को हुई, जब पटना में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की मौजूदगी में दोनों ने औपचारिक रूप से राजद की सदस्यता फिर से ग्रहण की। यह कदम 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राजद की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, खासकर मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक को मजबूत करने के लिए।

इससे पहले, हिना शहाब ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सिवान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया था। उन्होंने अप्रैल 2024 में नामांकन दाखिल किया था, लेकिन चुनाव में उन्हें जदयू की विजय लक्ष्मी कुशवाहा से हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने राजद पर परिवार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था और पार्टी से दूरी बना ली थी। हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद अगस्त 2024 में उनकी लालू यादव से मुलाकात हुई, जिसके बाद नाराजगी दूर करने की कोशिशें शुरू हुईं और अंततः उनकी पार्टी में वापसी हुई।

हिना की हाल की गतिविधियां उनकी राजनीतिक विरासत को बनाए रखने और अपने बेटे ओसामा को राजनीति में स्थापित करने की दिशा में केंद्रित दिखती हैं। उनकी वापसी से सिवान और आसपास के क्षेत्रों में राजद की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है।

28/03/2025

सिवान जिले का **बंगरा गाँव** स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अनूठा और प्रेरणादायक स्थान रखता है। यह गाँव बिहार के महाराजगंज अनुमंडल में स्थित है और इसे "स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़" कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से 27 स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया। इन सेनानियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ न केवल साहस दिखाया, बल्कि अपने बलिदान और संघर्ष से पूरे क्षेत्र में देशभक्ति की मिसाल कायम की। बंगरा गाँव की कहानी सिवान के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान का एक जीवंत प्रमाण है।

# # # बंगरा गाँव का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- **27 स्वतंत्रता सेनानियों का गाँव**: बंगरा गाँव से 27 लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। इनमें से कई ने अंग्रेजों के खिलाफ छापामार युद्ध लड़ा, जेल की सजा काटी, और कुछ ने अपने प्राणों की आहुति दी।
- **प्रमुख आंदोलन**: यहाँ के सेनानियों ने गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में हिस्सा लिया। इसके अलावा, कुछ क्रांतिकारी गतिविधियों में भी शामिल रहे।
- **अंग्रेजों का दमन**: अंग्रेजी सरकार इन सेनानियों को पकड़ने में असमर्थ रही, जिसके चलते उन्होंने गाँव में आगजनी की। कई घरों को जला दिया गया, लेकिन इससे बंगरा के लोगों का हौसला नहीं टूटा।

# # # प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
1. **मुंशी सिंह**:
- बंगरा गाँव के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी (2022 तक जीवित माने गए)। वे अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए। उनकी कहानियाँ आज भी गाँव में प्रेरणा का स्रोत हैं।
- वे उन 27 सेनानियों में से एक थे जिन्होंने गाँव की देशभक्ति की परंपरा को जीवित रखा।

2. **गोरख सिंह**:
- एक साहसी योद्धा, जिन्होंने अंग्रेजी सेना के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी वीरता ने स्थानीय लोगों को प्रेरित किया।

3. **सीताराम सिंह**:
- भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहे। वे गाँव के उन नायकों में से थे जिन्होंने अंग्रेजों के दमन का डटकर मुकाबला किया।

4. **राजाराम सिंह**:
- अंग्रेजों के खिलाफ छापामार कार्रवाइयों में शामिल। उनकी रणनीति और साहस ने बंगरा को स्वतंत्रता संग्राम का एक मजबूत केंद्र बनाया।

- **अन्य सेनानी**: इनके अलावा, बंगरा के कई अन्य गुमनाम नायकों ने भी योगदान दिया, जिनके नाम इतिहास में कम दर्ज हैं, लेकिन स्थानीय लोककथाओं में उनकी वीरता की चर्चा होती है।

# # # बंगरा की विशेषताएँ
- **सामाजिक विविधता**: बंगरा के स्वतंत्रता सेनानियों में विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग शामिल थे, जैसे यादव, कुर्मी, भूमिहार, बनिया, मुस्लिम, पासी, और नोनिया। यह विविधता गाँव की एकता और देशभक्ति का प्रतीक थी।
- **अंग्रेजों का प्रतिरोध**: जब अंग्रेज सेनानियों को पकड़ नहीं सके, तो उन्होंने गाँव पर हमला किया। कई घर जलाए गए, और कुछ सेनानियों को गोली मारी गई। फिर भी, गाँव के लोगों ने हार नहीं मानी और आंदोलन को जारी रखा।
- **स्थानीय नेतृत्व**: बंगरा के सेनानियों ने न केवल राष्ट्रीय आंदोलनों में हिस्सा लिया, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी लोगों को संगठित किया। यहाँ की महिलाएँ भी आंदोलन में शामिल हुईं और स्वदेशी को बढ़ावा दिया।

# # # ऐतिहासिक घटनाएँ
- **भारत छोड़ो आंदोलन (1942)**: इस आंदोलन के दौरान बंगरा गाँव ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ सबसे मजबूत प्रतिरोध दिखाया। यहाँ के युवाओं ने रेलवे लाइनों को उखाड़ने और संचार व्यवस्था को बाधित करने जैसे कार्य किए।
- **जेल यात्राएँ**: बंगरा के कई सेनानियों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया और लंबी सजा दी। कुछ को हजारीबाग और भागलपुर जेल में रखा गया।
- **बलिदान**: कुछ सेनानियों ने अंग्रेजी गोली का शिकार होकर अपने प्राण गँवाए, जिससे गाँव की शहादत की कहानी और गहरी हो गई।

# # # आज की स्थिति
- **स्मृति और सम्मान**: बंगरा गाँव आज भी अपने स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संजोए हुए है। गाँव में इन नायकों की याद में छोटे-छोटे स्मारक और कहानियाँ मौजूद हैं।
- **प्रेरणा का स्रोत**: बंगरा की कहानी सिवान और बिहार के लोगों के लिए देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक बनी हुई है। यह गाँव यह साबित करता है कि स्वतंत्रता संग्राम केवल बड़े नेताओं का नहीं, बल्कि गाँव-गाँव के आम लोगों का भी योगदान था।
- **मुंशी सिंह की स्मृति**: मुंशी सिंह जैसे जीवित सेनानियों (जो हाल के वर्षों तक जीवित थे) ने अपनी कहानियों से नई पीढ़ी को प्रेरित किया।

# # # निष्कर्ष
बंगरा गाँव सिवान का एक ऐसा प्रतीक है जो यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में छोटे गाँवों का भी बड़ा योगदान था। यहाँ के 27 स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने साहस, एकता, और बलिदान से न केवल अंग्रेजों को चुनौती दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम

28/03/2025

मौलाना मज़हरुल हक (22 दिसंबर 1866 - 4 जनवरी 1930) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता, विद्वान, वकील और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। बिहार के सिवान जिले से उनका गहरा संबंध रहा, हालाँकि कुछ स्रोत उनके जन्म को पटना से भी जोड़ते हैं। उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम, शिक्षा, और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय है। मौलाना मज़हरुल हक ने अपने जीवनकाल में अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष करने के साथ-साथ भारतीय समाज में एकता और जागरूकता फैलाने का कार्य किया। नीचे उनके प्रमुख योगदानों का विवरण है:

# # # स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
1. **चंपारण सत्याग्रह (1917)**:
- मौलाना मज़हरुल हक ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण (बिहार) में नील किसानों के शोषण के खिलाफ हुए आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने गांधीजी को बिहार में आमंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्थानीय लोगों को संगठित किया।
- इस आंदोलन ने अंग्रेजी सरकार को मजबूर किया कि वह नील बागान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करे, और यह गांधीजी के भारत में पहला बड़ा सत्याग्रह था।

2. **खिलाफत आंदोलन (1919-1924)**:
- मौलाना मज़हरुल हक ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, जो तुर्की में खलीफा के पद को बचाने के लिए शुरू हुआ था। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने मुस्लिम समुदाय को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
- उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने के लिए गांधीजी के असहयोग आंदोलन को खिलाफत आंदोलन के साथ जोड़ा, जिससे दोनों समुदायों में सहयोग बढ़ा।

3. **असहयोग आंदोलन (1920-22)**:
- गांधीजी के असहयोग आंदोलन में मौलाना हक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और अंग्रेजी शिक्षा संस्थानों का बहिष्कार किया।
- वे बिहार में इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित किया।

4. **होम रूल लीग**:
- 1916 में उन्होंने बिहार में होम रूल आंदोलन को समर्थन दिया, जिसका नेतृत्व एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक कर रहे थे। यह स्वशासन की माँग को लेकर शुरू हुआ था।

# # # शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
1. **बिहार विद्यापीठ की स्थापना**:
- मौलाना मज़हरुल हक ने 1921 में बिहार विद्यापीठ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। यह एक स्वदेशी शिक्षा संस्थान था, जिसे अंग्रेजी शिक्षा के विकल्प के रूप में शुरू किया गया था। यहाँ राष्ट्रीय भावना और भारतीय मूल्यों को बढ़ावा दिया गया।
- वे इसके पहले चांसलर भी रहे।

2. **सदाकत आश्रम**:
- पटना में सदाकत आश्रम की स्थापना में उनका योगदान था, जो स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रशिक्षण और विचार-मंथन का केंद्र बना। यहाँ से बिहार में स्वतंत्रता संग्राम को दिशा मिली।

# # # सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
1. **हिंदू-मुस्लिम एकता**:
- मौलाना हक हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपने भाषणों और कार्यों से दोनों समुदायों के बीच भाईचारा बढ़ाने का प्रयास किया। उनका मानना था कि भारत की आजादी तभी संभव है जब सभी धर्म एकजुट होकर लड़ें।
- खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन के दौरान उनकी यह सोच स्पष्ट दिखाई दी।

2. **पत्रकारिता**:
- उन्होंने **"मदर इंडिया"** नामक अखबार शुरू किया, जिसके जरिए लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाई। यह अखबार अंग्रेजी शासन की नीतियों की आलोचना करता था और स्वतंत्रता संग्राम के विचारों को फैलाता था।

3. **सामाजिक सुधार**:
- मौलाना हक ने मुस्लिम समुदाय में शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा दिया। वे धार्मिक कट्टरता के खिलाफ थे और प्रगतिशील विचारों के समर्थक थे।

# # # व्यक्तिगत जीवन और बलिदान
- **जन्म और शिक्षा**: उनका जन्म बिहार में हुआ था। वे एक संपन्न परिवार से थे और लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। वहाँ से लौटकर उन्होंने वकालत शुरू की, लेकिन देश सेवा के लिए इसे छोड़ दिया।
- **त्याग**: उन्होंने अपनी संपत्ति और आरामदायक जीवन का त्याग कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनकी सादगी और समर्पण ने उन्हें जनता का प्रिय नेता बनाया।
- **निधन**: 4 जनवरी 1930 को पटना में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के समय तक वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे।

# # # विरासत
- मौलाना मज़हरुल हक को बिहार में "शेर-ए-बिहार" (बिहार का शेर) के नाम से भी जाना जाता है। उनके नाम पर पटना में **मौलाना मज़हरुल हक अरबी और फारसी विश्वविद्यालय** स्थापित किया गया है।
- उनकी सबसे बड़ी विरासत हिंदू-मुस्लिम एकता और शिक्षा के प्रति उनका समर्पण है, जो आज भी प्रेरणा देता है।

मौलाना मज़हरुल हक सिवान और बिहार के लिए एक गौरवशाली व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने जीवन को देश और समाज की बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया। यदि आप उनके किसी खास योगदान या जीवन के पहलू के बारे में और जानना चाहते हैं, तो मुझे बताएं!

28/03/2025

सिवान जिला, बिहार, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला क्षेत्र रहा है। यहाँ के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष किया और देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। सिवान को खास तौर पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि (जिरादेई गाँव) के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी यहाँ कई अन्य वीर सेनानियों ने योगदान दिया। नीचे सिवान के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों और उनके योगदान का उल्लेख है:

# # # 1. **डॉ. राजेंद्र प्रसाद**
- **जन्म**: 3 दिसंबर 1884, जिरादेई, सिवान
- **योगदान**: भारत के प्रथम राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता। वे महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे और कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे। 1917 में चंपारण सत्याग्रह में गांधीजी के साथ शामिल हुए और बिहार में स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारत के संविधान को आकार दिया।
- **विशेष**: सिवान के जिरादेई गाँव में उनका पैतृक घर आज भी उनकी विरासत को दर्शाता है।

# # # 2. **मौलाना मज़हरुल हक**
- **जन्म**: 22 दिसंबर 1866, सिवान (कुछ स्रोतों में पटना से संबंधित भी बताया जाता है, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र सिवान में भी था)
- **योगदान**: एक प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, वकील और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक। उन्होंने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया और बिहार विद्यापीठ व सदाकत आश्रम की स्थापना में योगदान दिया। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रहे और मुस्लिम समुदाय को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
- **विशेष**: उनकी देशभक्ति और शिक्षा के प्रति समर्पण आज भी प्रेरणादायक है।

# # # 3. **ब्रज किशोर प्रसाद**
- **जन्म**: 1877, सिवान
- **योगदान**: एक वकील और स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने चंपारण सत्याग्रह में गांधीजी के साथ काम किया। वे सामाजिक सुधारक भी थे और पर्दा प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया। बिहार में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे और अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में जेल गए।
- **विशेष**: उनकी निष्ठा और सामाजिक जागरूकता ने सिवान के लोगों को प्रेरित किया।

# # # 4. **फुलेना प्रसाद**
- **जन्म**: सिवान जिला (महाराजगंज क्षेत्र)
- **योगदान**: एक स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ छापामार युद्ध लड़ा। वे महाराजगंज क्षेत्र से थे और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उनकी रणनीति और साहस ने स्थानीय स्तर पर आंदोलन को मजबूती दी।
- **विशेष**: वे सिवान के उन गुमनाम नायकों में से एक हैं जिनका योगदान इतिहास में कम दर्ज है।

# # # 5. **मुंशी सिंह**
- **जन्म**: बंगरा गाँव, सिवान
- **योगदान**: सिवान के बंगरा गाँव के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी (2022 तक जीवित माने गए)। वे अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए। बंगरा गाँव को "स्वतंत्रता सेनानियों का गाँव" कहा जाता है, जहाँ 27 सेनानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ी। मुंशी सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी।
- **विशेष**: उनकी कहानियाँ आज भी बंगरा गाँव में प्रेरणा का स्रोत हैं।

# # # सिवान का बंगरा गाँव: स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़
- सिवान के महाराजगंज अनुमंडल के पास बंगरा गाँव एक अनूठा उदाहरण है, जहाँ 27 स्वतंत्रता सेनानियों ने जन्म लिया। इनमें गोरख सिंह, सीताराम सिंह, और राजाराम सिंह जैसे योद्धा शामिल थे। अंग्रेज इन सेनानियों को पकड़ नहीं सके तो उनके घरों में आग लगा दी, फिर भी इनका हौसला नहीं टूटा। कुछ को गोली लगी, लेकिन आंदोलन और मजबूत होता गया।

# # # सिवान का योगदान
- **1857 का विद्रोह**: सिवान ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। यहाँ के लोग बाबू वीर कुंवर सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजों से लड़े।
- **20वीं सदी**: गांधीजी के आह्वान पर सिवान के लोग असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। यहाँ के युवाओं ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भी भाग लिया।
- **सामाजिक विविधता**: सिवान के स्वतंत्रता सेनानियों में यादव, कुर्मी, भूमिहार, बनिया, मुस्लिम, पासी, और नोनिया जैसी विभिन्न जातियों के लोग शामिल थे, जो एकता का प्रतीक है।

सिवान के स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और बलिदान ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे देश के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। इनमें से कई नाम इतिहास के पन्नों में गुमनाम हो गए, लेकिन उनकी कहानियाँ आज भी स्थानीय लोककथाओं और स्मृतियों में जीवित हैं। यदि आप किसी विशेष सेनानी या घटना के बारे में और जानना चाहते हैं, तो मुझे बताएं!

"ओसामा सहाब" से आपका तात्पर्य संभवतः ओसामा शहाब (Osama Shahab) से है, जो बिहार के सिवान जिले से जुड़े एक चर्चित नाम है। ...
27/03/2025

"ओसामा सहाब" से आपका तात्पर्य संभवतः ओसामा शहाब (Osama Shahab) से है, जो बिहार के सिवान जिले से जुड़े एक चर्चित नाम है। ओसामा शहाब, दिवंगत बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे हैं। सिवान में इनका परिवार राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी प्रभावशाली रहा है।

मोहम्मद शहाबुद्दीन एक समय सिवान के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख सदस्य रहे। उनकी मृत्यु (1 मई 2021) के बाद उनके बेटे ओसामा शहाब ने सुर्खियों में आना शुरू किया। ओसामा को अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश करते देखा गया है। उनकी शादी (अक्टूबर 2021) और अन्य सार्वजनिक गतिविधियों, जैसे इफ्तार पार्टियों में हिस्सेदारी, ने सिवान में उनकी मौजूदगी को और मजबूत किया है।

हालांकि, ओसामा शहाब का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2022 में सिवान में MLC उम्मीदवार रईस खान के काफिले पर हुए AK-47 हमले के मामले में उनका नाम सामने आया था, जिसमें उन पर मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगा। उनकी मां हिना शहाब ने इसे साजिश करार दिया और कहा कि ओसामा को फंसाया जा रहा है। इसके अलावा, जुलाई 2024 में बंगाल पुलिस ने उनके घर पर छापेमारी की थी, जो एक डकैती मामले से जुड़ी थी, हालांकि उस समय कुछ हासिल नहीं हुआ।

वर्तमान में (मार्च 2025 तक), ओसामा शहाब सिवान में सक्रिय हैं और RJD के साथ उनके परिवार का जुड़ाव फिर से मजबूत हुआ है। अक्टूबर 2024 में ओसामा और उनकी मां हिना शहाब ने RJD की सदस्यता ग्रहण की, जिसे तेजस्वी यादव ने स्वागत किया। सिवान की राजनीति में उनकी भूमिका और प्रभाव को लेकर चर्चाएं जारी हैं।

27/03/2025

सिवान बिहार का एक बहुत ही खूबसूरत नजारा
#बिहारदिवस2025 #सिवान2025 #सिवानबिहार

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