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15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, जानिए लीवर साफ करने का सही तरीका l स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 30 ...
03/05/2025

15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, जानिए लीवर साफ करने का सही तरीका l स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 30 दिनों में एक बार हमारे लीवर को जरूर साफ करना चाहिए। लिवर हमारे शरीर का एक बहुत ही अहम अंग है। दोस्तों हमें अपने लीवर की सेहत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

दोस्तों जब तक हमारा लीवर ठीक से काम करेगा, तब तक हमें किसी बीमारी से सामना नहीं करना पड़ेगा।हमारे गलत खानपान के कारण हमारे लिवर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आओ जानते हैं लीवर को घरेलू आसान तरीकों से कैसे सही और साफ रखें।

लिवर की खराबी का अगर सही समय पर इलाज़ न हो तो आगे जाकर यह बिमारी विकराल रूप ले सकती है, यहाँ तक की जान भी जा सकती है। लीवर कमज़ोर होना या लीवर की खराबी, इस बिमारी के कई कारण हो सकते है। लीवर में दर्द होना, भूख कम लगना आदि इस बिमारी के सामान्य लक्षण है। लिवर में सूजन आ जाने से खाना आँतों मे सही तरीके से नहीं पहुँच पाता और ठीक तरह से हज़म भी नहीं हो पाता। ठीक तरह से हज़म न हो पानें से अन्य तरीके के रोग भी उत्पन्न हो सकते है। इसलिए लीवर की खराबी का पक्का, आसान और पूरी तरह से आयुर्वेदिक इलाज़ हम आपके लिए लेकर आये है जिससे लिवर की खराबी से निजात मिल जाएगी। कभी-कभी ऐसा होता है कि हमारे शरीर में बहुत सारे बदलाव आने लगते हैं जिन्हें हम विल्कुल नज़र अंदाज़ कर देते हैं। इनमे लिवर की बीमारी भी बहुत बढ़ गयी है।

लिवर की खराबी के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमे से एक मुख्य कारण है शराब का अत्यधिक सेवन करना, भोजन में मिर्च मसाले ज़्यादा खाना और भी बहुत से कारण हैं। जैसे यदि आपका पेट बहुत ज्यादा बढ़ रहा है तो आप यही सोचेंगे की यह मोटापे की वजह से हो रहा होगा। क्या आप जानते है लिवर के ख़राब होने से भी पेट पर बहुत सूजन आने लगती है, जिसकी वजह से पेट फूलने लगता है। इन्ही बातों को ध्यान रखते हुए यह लेख लिखा गया है।

आइये जानते है लिवर की खराबी के लक्षण

चेहरे पर धब्बे : कभी-कभी चेहरे की रंगत पीली पड़ने लग जाती है और चेहरे पर सफ़ेद धब्बे पड़ने लगते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो यह अच्छा संकेत नहीं है। ऐसी स्तिथि में डॉक्टर से संपर्क आवश्य करें ।

आँखों में पीलापन : यदि आँखों का सफ़ेद भाग, पीला पड़ने लग जाए तो यह भी परेशानी का सबब हो सकता है। आँखों के पीले पड़ने को नज़रअंदाज़ ना करे, यह कोई गंभीर रूप ले सकती है। लिवर की खराब होने पर आँखों सा सफ़ेद रंग पीला पड़ने लगता है और नाख़ून भी पीले पड़ने लगते हैं।

स्वाद ना आना : यदि आपको खाने में कोई स्वाद महसूस नहीं होता। आपसे खाना नहीं खाया जाता तो यह भी ध्यान देने वाली बात है। लिवर में एक एन्ज़ाइम होता है जिसे बाइल कहते है जो की बहुत कड़वा होता है। लिवर के ख़राब होने पर, बाइल मुँह तक पहुँचने लगता है जिसकी वजह से मुँह का स्वाद ख़राब हो जाता है।

मुँह से बदबू : मुँह में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाने के कारण मुँह से बदबू आने लगती है। लिवर में खराबी के कारण ऐसा होने लगता है, मुँह की बदबू को नज़र अंदाज़ ना करें, यह एक गंभीर रूप ले सकती है।

थकान भरी आँखें और डार्क सर्कल : यदि आपकी हमेशा थका-थका सा महसूस होता है। आप रात में जितनी भी नींद क्यों ना लें आपको यही लगता है कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है। आँखों में डार्क सर्कल होने लगते हैं और आँखे सूजने लगी हो तो यह अच्छा संकेत नहीं है।

पाचन तंत्र कमज़ोर : लिवर में खराबी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि आपका हाज़मा ठीक नहीं रहता। यदि आप ज़्यादा मिर्च मसाले खा लेते हैं तो सीने में जलन होने लगती है। हाज़मे की खराबी, लिवर में प्रॉब्लम को दर्शाती है।

लीवर साफ करने का सही तरीका और घरेलु उपाय :

सेब का सिरका : सेब का सिरका रोज खाना खाने के साथ खाना चाहिये। क्योंकि इससे हमारा लीवर साफ सुथरा हो जाता है। सेब का सिरका हमारे लीवर को साफ करने में एक बहुत ही बड़ा रोल अदा करता है।

किशमिश : सबसे पहले किशमिश को धो लें और एक पैन में 2 कप पानी उबाल कर इसमें 150 ग्राम किशमिश डाल कर रात भर भिगोएं। सुबह इसको छान कर हल्का गुनगुना करें और खाली पेट पी लें। इसका सेवन करने के 25-30 मिनट बाद नाश्ता कर लें। इससे लीवर और किडनी साफ दोनो साफ़ होते है। डायबिटीज के रोगी इसके इस्तेमाल से परहेज करें। इसका सेवन एक महीने में सिर्फ चार दिन ही करें और इस दौरान शक्कर का इस्तेमाल थोड़ा कम कर दें।

शहद और पानी : हमें सुबह लहसुन खाने के बाद शहद मिले गुनगुने पानी को पीना चाहिए। गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर और फिर उसे दो लहसुन खाने के बाद पीले। क्योंकि शहद में मिला गुनगुना पानी हमारे लीवर को साफ रखता है।

लहसुन : हमें रोज सुबह उठकर खाली पेट दो लहसुन खानी चाहिए। हमे लहसुन खाने के बाद हमें एक दो गिलास पानी पीना चाहिए। क्योंकि लहसुन हमारे लिवर को साफ रखता है। बीमारियों से बचाए रखता है।तो मित्रों हमें अपने लिवर की सफाई 30 दिन में एक बार अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि हमारे शरीर का पूरा स्वास्थ्य लीवर से जुड़ा हुआ है। हमारा लीवर पाचन तंत्र से खून को फिल्टर करने का काम करता है। इस प्रकार हम अपने लीवर को साफ रखकर अनेक बीमारियों से बच सकते हैं।

नींबू : एक कागजी नींबू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नीबू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग-अलग न हो। तत्पश्चात् एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सैधा नमक), तीसरे में साँठ का चूर्ण और चौथे में मेिश्री का चूर्ण (या शक्कर चीनी) भर दें। रात को प्लेट में रखकर ढंक दें। प्रातः भोजन करने से एक घंटे पहले इस नींबू की फॉक (टुकड़ा) को मन्दी आंच या तवे पर गर्म करके चूस लें।

जामुन : जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम दिया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है।

हरूड के छिलके और गुड : जिगर (यकृत) व तिल्ली (प्लीहा) दोनों के बढ़ने पर पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ी (पीली) हरूड के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनायें और ऐसी गोली दिन में दो बार प्रातः सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। इससे यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं। विशेष-इसके तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त का भी नाश होता है।

कुछ विशेष

आवश्यकतानुसार 15 दिन से 21 दिन लेने से लीवर सहीं होगा।

इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुँह का जायक ठीक होगा, भूख बढ़ेगी, सिरदर्द और पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होगी।

ये यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग (Cirhosis of the liver) में अचूक है। पुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुव्यवहार, अधिक मद्यपान, अॅधिक मिठाई खाना, अमेधिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगों की उत्पति होती है। बुखार ठीक हो जाने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर एवं पहले से बड़ा हो जाता है। रोग के घातक रूप लेने पर युकृत का संकोचन (Cirrhosis of the॥ver) होता है। यकृत रोगों में ऑखें व बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, शौच ऑवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते हैं।

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Kuch safar sirf manzil tak pahunchne ke liye nahi hote – kuch safar yaadein banane ke liye hote hain. Hamari team outing...
03/05/2025

Kuch safar sirf manzil tak pahunchne ke liye nahi hote – kuch safar yaadein banane ke liye hote hain. Hamari team outing bhi kuch aisi hi rahi. Is baar ka plan tha ek adventurous rafting trip aur ek lambi safar jo sirf doori nahi, dosti bhi mita raha tha.

Subah-subah excitement ke saath hamne safar ki shuruaat ki. Raaste bhar hasi-mazaak, music, aur chai ke pit stops ne mood ko energetic banaye rakha. Har pal ek nayi kahani le kar aata tha.

Rafting ka experience toh next level tha! Paani ke beech, raft ke upar team ke saath coordination aur thrill ka jo combination tha, wo lifetime yaad rahega. Kisi ne pehli baar rafting ki, to koi pro tha – lekin sabne enjoy kiya!

Raat ko bonfire, antakshari aur doston ke saath gappe – ek perfect end tha is safar ka.

Is outing ne hamein kaam ke pressure se thoda alag kiya, ek dusre ko aur ache se samajhne ka moka diya, aur team spirit ko aur mazboot banaya.

21/04/2025

I got 10 reactions and comments on one of my posts last week! Thanks everyone for your support! 🎉

बहादुर शाह ज़फ़र (1775-1862) भारत में मुगल साम्राज्य के आख़िरी शहंशाह थे और उर्दू के माने हुए शायर थे। उन्होंने 1857 के ...
19/04/2025

बहादुर शाह ज़फ़र (1775-1862) भारत में मुगल साम्राज्य के आख़िरी शहंशाह थे और उर्दू के माने हुए शायर थे। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई ।

जब मेजर हडसन मुगल सम्राट को गिरफ़्तार करने के लिए हुमायूं के मकबरे में पहुंचा, जहां पर बहादुर शाह ज़फ़र अपने दो बेटों के साथ छुपे हुए थे, तो उसने (मेजर हडसन) जो स्वयं उर्दू का थोड़ा ज्ञान रखता था ,कहा -

"दमदमे में दम नहीं है ख़ैर मांगो जान की
ऐ ज़फ़र ठंडी हुई अब तेग़ हिंदुस्तान की.."

इस पर ज़फ़र ने उत्तर दिया-

"ग़ज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की
तख़्त ऐ लंदन तक चलेगी तेग़ हिंदुस्तान की

19/04/2025

हुज़ूर ﷺ ने फरमाया:-

“अपनी जरूरत पूरी करने के लिए राज़दारी से काम लिया करो, क्यों की हर नेअमत वाले के साथ हसद किया जाता है”

(सिलसिला 257)

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं बे-फ़ाएदा अलम नहीं बे-कार ग़म नहीं तौफ़ीक़ द...
17/04/2025

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं

बे-फ़ाएदा अलम नहीं बे-कार ग़म नहीं
तौफ़ीक़ दे ख़ुदा तो ये नेमत भी कम नहीं

मेरी ज़बाँ पे शिकवा-ए-अहल-ए-सितम नहीं
मुझ को जगा दिया यही एहसान कम नहीं

या रब हुजूम-ए-दर्द को दे और वुसअ'तें
दामन तो क्या अभी मिरी आँखें भी नम नहीं

शिकवा तो एक छेड़ है लेकिन हक़ीक़तन
तेरा सितम भी तेरी इनायत से कम नहीं

अब इश्क़ उस मक़ाम पे है जुस्तुजू-नवर्द
साया नहीं जहाँ कोई नक़्श-ए-क़दम नहीं

मिलता है क्यूँ मज़ा सितम-ए-रोज़गार में
तेरा करम भी ख़ुद जो शरीक-ए-सितम नहीं

मर्ग-ए-'जिगर' पे क्यूँ तिरी आँखें हैं अश्क-रेज़
इक सानेहा सही मगर इतना अहम नहीं

जिगर मुरादाबादी

15/04/2025

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The Evolution of : A Legacy of Engineering Excellence
Introduction
Bayerische Motoren Werke AG, commonly known as BMW, is a renowned German automobile and motorcycle manufacturer celebrated for its performance-oriented vehicles and cutting-edge technology. Founded in 1916, BMW has become synonymous with luxury, innovation, and driving pleasure. This article explores the history, evolution, and impact of BMW on the automotive landscape.
History and Foundation
BMW was established in Munich, Germany, originally as a manufacturer of aircraft engines during World War I. The company's first product was the BMW IIIa aircraft engine, which gained acclaim for its performance and reliability. However, the end of the war in 1918 led to a ban on aircraft engine production in Germany, prompting BMW to diversify its offerings.— bersama Tasty Besty Food 1M.
In 1923, BMW shifted its focus to motorcycles, launching the R32, which featured a revolutionary flat-twin engine and shaft drive. This motorcycle laid the foundation for BMW's reputation in the two-wheeled segment, eventually leading to several racing successes in the years that followed.
The Automotive Era
BMW entered the automotive market in 1928 with the acquisition of the Fahrzeugfabrik Eisenach. The first BMW car was the BMW 3/15, based on the Austin Seven. The introduction of the BMW 328 in the 1930s marked a turning point for the company, establishing it as a manufacturer of high-performance sports cars. The 328 gained recognition in motorsports, winning the Mille Miglia in 1940.
However, World War II led to significant challenges for BMW. The company was forced to redirect its production to support the German war effort, resulting in severe damage to its factories and infrastructure. After the war, BMW faced the daunting task of rebuilding and redefining its identity.
Post-War Recovery and Growth
In the post-war years, BMW focused on producing small, affordable cars. The ゚ #कमाई

05/04/2025
मुग़ल जिहाद 😂😂मुगलकालीन मकबरा  #ताज महल पिछले पांच वर्षों में टिकटों की बिक्री के जरिए  #सबसे  #अधिक  #कमाई करने वाला एएस...
05/04/2025

मुग़ल जिहाद 😂😂
मुगलकालीन मकबरा #ताज महल पिछले पांच वर्षों में टिकटों की बिक्री के जरिए #सबसे #अधिक #कमाई करने वाला एएसआई संरक्षित स्मारक रहा है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.वित्त वर्ष 19-20 में आगरा का #किला और दिल्ली का #कुतुब मीनार टिकटों की बिक्री के जरिए #दूसरे और तीसरे स्थान पर थे. वित्त वर्ष 20-21 में तमिलनाडु का #मामल्लापुरम स्मारक और #सूर्य # मंदिर, कोणार्क दूसरे और #तीसरे स्थान पर थे. वित्त वर्ष 23-24 में दिल्ली का कुतुब मीनार और लाल किला दूसरे और तीसरे स्थान पर थे.

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