02/05/2025
जब बेटे-बेटी की शादी का समय आता है, तो माता-पिता स्वाभाविक रूप से तनाव में होते हैं। मगर जैसे ही इस शख्स का नाम आता है, मानो एक भरोसा जाग उठता है। क्योंकि अगर इन्होंने जिम्मा संभाल लिया, तो फिर एक ही बात गूंजती है—टेंशन न लो... हो जाएगा भाई जी। आज ये संवाद नाहन की शादियों की पहचान है।
इनके पास हर संकट का समाधान होता है इसमें चाहे बिजली गुल हो जाए, अचानक गैस खत्म हो जाए या मेहमानों की संख्या उम्मीद से ज्यादा बढ़ जाए। सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब शादी के दिन बारिश हो जाए। ऐसे हालात में जहां लोग घबरा जाते हैं, वहीं यह शख्स अपनी अनुभवशीलता, सूझबूझ और बेहतरीन ‘जुगाड़ों’ के सहारे स्थिति को संभाल लेने का प्रयास करता हैं। इनकी योजना इतनी सटीक होती है कि चाहे बारिश से थोड़ी परेशानी हो भी जाए, लेकिन रिसेप्शन में कोई भी मेहमान बिना खाना खाए नहीं लौटता।
इनका अनुभव और आयोजनों से जुड़ाव इतना गहरा है कि काम में कहीं कोई रुकावट नहीं आती। सबसे बड़ी बात यह है कि पेमेंट का विषय कभी भी इनकी प्राथमिकता में नहीं होता। पहले कार्यक्रम को सफल बनाना इनका उद्देश्य होता है। खर्च का हिसाब उस समय लेकर जाते हैं जब पूरा परिवार आयोजन की थकान से मुक्त हो चुका होता है। इनका जिला परिषद भवन (SFDA) से एक खास रिश्ता बन चुका है, यहां का एक-एक कोना इन्हें पहचानता है। यह जगह जितनी सरकारी है, उतनी ही इनकी यादों से भी जुड़ी हुई है।
20 साल की उम्र में टेंट हाउस के कार्य को जब इन्होंने संभाला,तब शायद ही किसी ने अनुमान लगाया होगा कि यह काम एक व्यवसाय नहीं, बल्कि लोगों की सेवा का माध्यम बन जाएगा। आज इनके पास सिर्फ टेंट और बर्तन नहीं, बल्कि अनुभव, नेटवर्क, आत्मीयता और भरोसे की पूंजी है। शहर का हर वर्ग—चाहे सामान्य परिवार हो या प्रतिष्ठित व्यवसायी—इनकी सेवाओं को न केवल याद करता है, बल्कि दिल से सराहना करता है।
टेंट हाउस की शुरुआत 1972 में इनके बड़े भाई विनोद कुमार गोयल ने की थी। परिवार का परिवहन व्यवसाय भी है, जिसे भाइयों के बेटों ने नई दिशा दी, जबकि टेंट हाउस की ज़िम्मेदारी ये निभा रहे हैं। हालांकि बड़े भाई आज भी स्तंभ की तरह साथ खड़े हैं और इनके बेटे ने भी पिता की इस विरासत को सलीके से संभाल लिया है।
➡️ ये हैं, भारत टेंट हाउस के कर्ताधर्ता सतीश गोयल। करीब दो दशक पहले इनकी दुकान माल रोड पर हुआ करती थी, जो अब पोस्ट ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर स्थित है। इनके बेटे शुभम गोयल ने भी कारोबार का संभाल लिया है। ट्रासंपोर्ट के कारोबार को भतीजा रितेश गोयल आगे बढ़ा रहा है।
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