05/11/2015
क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है,ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है!
जहां जहां कोई ठोकर है मेरी किस्मत मैं
वहीं वहीं लिए फिरती है जिंदगी मुझ को
मै प्यार हूँ तेरा, मजहब नही..!
यूँ नाम से मेरे, दंगे न किया कर..!!
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया.
तू मुझे अच्छी या बुरी नहीं लगती
है,
तू मुझे सिर्फ मेरी लगती है...!
यु तो तेरे बिन भी जी रहा है फकीरा,
पर हरेक पल-पल गुजर रहा है तेरी याद के सहारे
मे अपनी ज़िंदगी मे हर किसी को अहमियत देता हु । क्योकी जो अच्छे होंगे वो साथ देंगे ओर जो बुर होंगे वो सबक देंगे..!!
मालूम सबको है जिंदगी बेहाल है,
लोग फिर भी पूछते है क्या हाल है...!!!
यह माना कि ज़िंदगी काँटों भरा सफर है;
इससे गुज़र जाना ही असली पहचान है;
बने बनाये रास्तों पर तो सब चलते हैं;
खुद रास्ते जो बनाये वही तो इंसान है।
शायद खुशी का दौर भी आ जाए एक दिन,
गम भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगेर
तुझको हुई ना खबर, न ज़माना समझ सका
हम चुपके चुपके तुझ पे यूँ कई बार मर गये
देख # पगली ..
# प्यार तो # अचानक हो जाता है...
जो # इरादे से किया जाये उसे # Setting कहते है..।!
मेरी यादों से बच निकलो तो वादा है तुम से,मैं खुद दुनीया से कह दूंगा की कमी मेरी वफ़ा में थी।
लोग कहते है जो दर्द देता हे
वो ही दवा देता है
पता नहीं
ऐसी फालतू बातो को कौन हवा देता है...!!"