10/07/2025
तिजोरी भर चुकी है हमारे नेता की, जनता की थाली अब भी है रीता की। आज होली, कल दिवाली है, पर रौशनी बस कोठियों में ही पाली है। बोलते हैं — 'भारत बदल रहा है', पर गड्ढों में अब भी सपना फिसल रहा है। मेट्रो उड़ रही, चाँद पर झंडा है, गाँव के बच्चे आज भी नंगे धंधा है। इतनी बढ़ाई है मेरे हिंदुस्तान की, पर सड़कें चीखें सुनाती हैं किसान की। दुनिया कहे 'सुपरपावर बन गया है देश', पर रोटी के लिए फिर भी लगे हैं देशभक्त शेष 🤔💔🌎