SBS Rajasthani

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24/09/2025

🔹 सतीश वैष्णव के भजनों की विशेषताएँ

भक्ति और साधना पर केंद्रित

उनके भजन मुख्य रूप से गुरु महिमा, भगवान और आध्यात्मिक जीवन पर आधारित होते हैं।

श्रोताओं के मन में शांति, श्रद्धा और भक्ति रस की अनुभूति होती है।

सरल और समझने योग्य भाषा

भजन की भाषा सुलभ और सीधे दिल तक पहुँचने वाली होती है।

गाँव और शहर के श्रोता भजन आसानी से समझ सकते हैं और गा सकते हैं।

सटीक राग और समय का पालन

भजन सही राग और समय का पालन करके प्रस्तुत किए जाते हैं।

इससे भक्ति रस का प्रभाव और गहराई बढ़ती है।

जागरण और सत्संग के अनुकूल

उनके भजन लंबे जागरण और सत्संग के लिए उपयुक्त हैं।

श्रोता भजन सुनकर ध्यान और भक्ति में डूब जाते हैं।

लोक संस्कृति और पारंपरिक शैली

भजनों में राजस्थानी लोक परंपरा और पारंपरिक वाद्य शामिल होते हैं।

श्रोता राजस्थानी भक्ति संगीत और लोक संस्कृति से जुड़े रहने का अनुभव करते हैं।

सकारात्मक जीवन संदेश

भजनों में केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि सदाचार, त्याग और आध्यात्मिक चेतना का संदेश भी मिलता है।

24/09/2025
24/09/2025

🔹 तखत सिंह महाराज के भजनों की विशेषताएँ

गहरी भक्ति और आध्यात्मिकता

उनके भजन मुख्य रूप से भगवान, गुरु और भक्ति मार्ग पर केंद्रित होते हैं।

श्रोताओं के मन में शांति, श्रद्धा और भक्ति रस की अनुभूति होती है।

सटीक राग और समय का पालन

भजन सही राग और समय का पालन करके प्रस्तुत किए जाते हैं।

इससे भक्ति रस की गहराई और प्रभाव बढ़ता है।

सरल और लोकप्रिय भाषा

भजन की भाषा सुलभ और समझने में आसान होती है।

ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के श्रोता भजनों का आनंद आसानी से ले सकते हैं।

जागरण और सत्संग के लिए उपयुक्त

उनके भजन लंबे जागरण और सत्संग कार्यक्रमों के लिए आदर्श हैं।

श्रोताओं को भजन सुनकर ध्यान और भक्ति में डूबने का अनुभव होता है।

राजस्थानी लोक संस्कृति और परंपरा का संरक्षण

भजनों में राजस्थान की लोक परंपरा, रीति-रिवाज और पारंपरिक वाद्य शामिल होते हैं।

श्रोता राजस्थानी संस्कृति और भक्ति संगीत से जुड़ाव महसूस करते हैं।

सकारात्मक और नैतिक संदेश

भजनों में केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि सदाचार, त्याग और आध्यात्मिक जीवन का संदेश भी मिलता है।

24/09/2025

🔹 प्रवीण गौड़ के गायन में क्लासिक पकड़ की विशेषताएँ

सटीक राग और सुरों की पकड़

गायन में रागों का शुद्ध अनुपालन और हर सुर की स्पष्टता दिखाई देती है।

इससे भजन या गीत में संगीत की गंभीरता और प्रभाव बढ़ता है।

ताल और लय का उत्कृष्ट ज्ञान

तालबद्ध गायन में ढोलक, हारमोनियम और अन्य पारंपरिक वाद्यों के साथ तालमेल बना रहता है।

श्रोता को संगीत का आनंद और भक्ति रस दोनों अनुभव होता है।

मधुर और संतुलित स्वर

उनका स्वर शांत, मधुर और नियंत्रित होता है, जो लंबे गायन के दौरान भी स्थिर रहता है।

भजन और लोक गीतों में क्लासिकल टच उन्हें अलग बनाता है।

भक्ति और भाव की गहराई

गायन में केवल तकनीक ही नहीं, बल्कि भाव और भक्ति का समावेश होता है।

श्रोता को आध्यात्मिक अनुभव और भावनात्मक जुड़ाव महसूस होता है।

संगीत में नवाचार और पारंपरिकता का संतुलन

प्रवीण गौड़ के गायन में पारंपरिक क्लासिकल तकनीक के साथ कुछ लोक और आधुनिक तत्त्वों का संतुलन रहता है।

इससे भजन और गीत समकालीन और पारंपरिक दोनों शैली में प्रभावी बनते हैं।

लंबे सत्संग और जागरण के अनुकूल

उनके क्लासिकल स्टाइल के भजन लंबे सत्संग और जागरण के लिए उपयुक्त हैं।

श्रोता लंबे समय तक ध्यान और भक्ति में डूबे रहते हैं।

23/09/2025

🔹 नारायणसिंह राजपुरोहित के भजनों में गुजराती टच की विशेषताएँ

संगीत में गुजराती धुन और राग

भजनों में गुजरात की पारंपरिक धुन और रागों का उपयोग किया जाता है।

इससे भजन में स्थानीय सांस्कृतिक मिठास और अलगपन दिखाई देता है।

लय और ताल में गुजराती शैली

भजन के ताल और लय में ગુજરાતी लोक संगीत की हल्की रिदमिक विशेषता शामिल होती है।

श्रोता को भक्ति और लोकधारा दोनों का अनुभव मिलता है।

भाषा और उच्चारण में गुजराती प्रभाव

कुछ शब्दों और उच्चारण में गुजराती प्रभाव महसूस होता है, जो भजन को अधिक मधुर और रोचक बनाता है।

भाव और भक्ति में नवाचार

गुजराती टच के कारण भजन में भक्ति के साथ हल्का सांगीतिक नवाचार भी दिखाई देता है।

श्रोताओं को आध्यात्मिक अनुभव के साथ संगीत का अलग आनंद मिलता है।

संतुलन पारंपरिक और क्षेत्रीय शैली में

भजन में राजस्थान की लोक संस्कृति और गुजराती शैली का संतुलित मिश्रण होता है।

इससे भजन दोनों क्षेत्रों के श्रोताओं के लिए सुलभ और प्रिय बन जाते हैं।

जागरण और सत्संग के अनुकूल

गुजराती टच वाले भजन लंबे सत्संग और जागरण कार्यक्रमों में भी प्रभावी रहते हैं।

श्रोता लंबे समय तक भक्ति और संगीत में जुड़े रहते हैं।

23/09/2025

🔹 सतीश वैष्णव के भजनों की विशेषताएँ

भक्ति और साधना पर केंद्रित

उनके भजन मुख्य रूप से गुरु महिमा, भगवान और आध्यात्मिक जीवन पर आधारित होते हैं।

श्रोताओं के मन में शांति, श्रद्धा और भक्ति रस की अनुभूति होती है।

सरल और समझने योग्य भाषा

भजन की भाषा सुलभ और सीधे दिल तक पहुँचने वाली होती है।

गाँव और शहर के श्रोता भजन आसानी से समझ सकते हैं और गा सकते हैं।

सटीक राग और समय का पालन

भजन सही राग और समय का पालन करके प्रस्तुत किए जाते हैं।

इससे भक्ति रस का प्रभाव और गहराई बढ़ती है।

जागरण और सत्संग के अनुकूल

उनके भजन लंबे जागरण और सत्संग के लिए उपयुक्त हैं।

श्रोता भजन सुनकर ध्यान और भक्ति में डूब जाते हैं।

लोक संस्कृति और पारंपरिक शैली

भजनों में राजस्थानी लोक परंपरा और पारंपरिक वाद्य शामिल होते हैं।

श्रोता राजस्थानी भक्ति संगीत और लोक संस्कृति से जुड़े रहने का अनुभव करते हैं।

सकारात्मक जीवन संदेश

भजनों में केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि सदाचार, त्याग और आध्यात्मिक चेतना का संदेश भी मिलता है।

23/09/2025

🙏 लुणाराम चौहान – राजस्थान की लोक संस्कृति और भक्ति धारा के सच्चे साधक एवं भजन गायक।
🎵 विशेषता:

सही राग और समय का ध्यान रखते हुए भजनों की प्रस्तुति

जागरण, सत्संग और पारंपरिक राजस्थानी भक्ति भजनों का मधुर गायन

राजस्थान की लोक परंपरा और भक्ति संगीत को जीवंत रखने का संकल्प

📍 राजस्थान
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23/09/2025

🌸🙏 महेन्द्र सिंह पंवार जी के भजन 🙏🌸
मधुर वाणी और भावपूर्ण प्रस्तुति से सजे ये भजन भक्ति और लोकसंगीत का अनुपम संगम हैं।
इनकी सुरीली आवाज़ श्रोताओं को भक्ति, शांति और आनंद की अनोखी अनुभूति कराती है। 🎶✨
आइए, महेन्द्र सिंह पंवार जी के भजनों के साथ जुड़कर भक्ति रस में डूब जाएँ। 🌼

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22/09/2025

🔹 ओमसिंह राजपुरोहित सांगरिया के भजनों की विशेषताएँ

राजस्थानी लोक और भक्ति संगीत का मिश्रण

उनके भजन राजस्थानी लोकधारा और भक्ति रस का सुंदर मिश्रण होते हैं।

श्रोताओं को स्थानीय संस्कृति और भक्ति भावना दोनों का अनुभव होता है।

भक्ति और साधना पर केंद्रित संदेश

भजन भगवान, गुरु और आध्यात्मिक जीवन की महिमा का प्रचार करते हैं।

भजन सुनने वाले का मन शांति, श्रद्धा और भक्ति भाव में डूब जाता है।

सटीक राग और समय का पालन

भजन सही राग और समय का पालन करके प्रस्तुत किए जाते हैं।

इस वजह से भक्ति रस का प्रभाव और गहराई ज्यादा होती है।

साधारण और समझने योग्य भाषा

लोक भाषा का उपयोग कर भजन सभी वर्गों के लोगों के लिए सरल और प्रभावशाली बनाते हैं।

गाँव और शहर दोनों में भजन आसानी से समझे और गाए जा सकते हैं।

जागरण और सत्संग के अनुकूल

उनके भजन लंबे जागरण और सत्संग आयोजनों के लिए आदर्श हैं।

भजन सुनने वाले ध्यान और भक्ति में गहराई अनुभव करते हैं।

राजस्थानी संस्कृति और परंपरा का संरक्षण

भजनों में राजस्थानी रीति-रिवाज, लोक गीत और पारंपरिक वाद्य शामिल होते हैं।

श्रोता राजस्थानी संस्कृति से सीधे जुड़े रहने का अनुभव करते हैं।

22/09/2025

🔹 नारायणसिंह राजपुरोहित के भजनों में गुजराती टच की विशेषताएँ

संगीत में गुजराती धुन और राग

भजनों में गुजरात की पारंपरिक धुन और रागों का उपयोग किया जाता है।

इससे भजन में स्थानीय सांस्कृतिक मिठास और अलगपन दिखाई देता है।

लय और ताल में गुजराती शैली

भजन के ताल और लय में ગુજરાતी लोक संगीत की हल्की रिदमिक विशेषता शामिल होती है।

श्रोता को भक्ति और लोकधारा दोनों का अनुभव मिलता है।

भाषा और उच्चारण में गुजराती प्रभाव

कुछ शब्दों और उच्चारण में गुजराती प्रभाव महसूस होता है, जो भजन को अधिक मधुर और रोचक बनाता है।

भाव और भक्ति में नवाचार

गुजराती टच के कारण भजन में भक्ति के साथ हल्का सांगीतिक नवाचार भी दिखाई देता है।

श्रोताओं को आध्यात्मिक अनुभव के साथ संगीत का अलग आनंद मिलता है।

संतुलन पारंपरिक और क्षेत्रीय शैली में

भजन में राजस्थान की लोक संस्कृति और गुजराती शैली का संतुलित मिश्रण होता है।

इससे भजन दोनों क्षेत्रों के श्रोताओं के लिए सुलभ और प्रिय बन जाते हैं।

जागरण और सत्संग के अनुकूल

गुजराती टच वाले भजन लंबे सत्संग और जागरण कार्यक्रमों में भी प्रभावी रहते हैं।

श्रोता लंबे समय तक भक्ति और संगीत में जुड़े रहते हैं।

22/09/2025

🌸✨ रमेश सांखला जी के भजन ✨🌸
भक्ति और लोकधुनों का अनुपम संगम, जो मन को शांति और आत्मा को भक्ति रस से भर देते हैं। 🙏
रमेश सांखला जी की सुरीली आवाज़ और भावपूर्ण प्रस्तुति हर श्रोता के दिल को छू लेती है। 🎶
आइए, उनके भजनों के साथ जुड़कर भक्ति, आनंद और संस्कृति की मधुरता का अनुभव करें। 🌼

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22/09/2025

🌊✨ गंगा माता के भजन ✨🌊
पवित्र गंगा माता की महिमा और भक्ति रस से सजे ये भजन आत्मा को शांति और मन को सुकून देते हैं। 🙏
इनकी मधुर वाणी और भावपूर्ण प्रस्तुति हर श्रोता को आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कराती है। 🎶
आइए, गंगा माता के भजनों के साथ भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंग जाएँ। 🌸

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